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Working For a Mission

Established in 1996, Bharat Vikas Parishad Dhanbad North is a service-cum-sanskar oriented , non-political , socio-cultural voluntary organisation. It is dedicated to the development and growth of our country in all fields of human endeavour – cultural, social, academic, moral, national and spiritual – by promoting a sense of patriotism, national unity and integrity.

हमारा दृष्टिकोण : हमारा दृष्टिकोण है मानव-जीवन के हर पहलू यथा…. सामाजिक, सांस्कृतिक, नैतिक, राष्ट्रीय एवं आध्यात्मिक क्षेत्रों में देश का विकास व संबर्धन जिससे अन्ततोगत्वा बने : स्वस्थ – समर्थ – संस्कारित भारत

 

हमारा उद्देश्य : हमारा उद्देश्य है समाज के उच्च वर्ग, बुद्धिजीवियों व सुविधासम्पन्न लोगों में अपने देश के गरीब, असमर्थ, अशिक्षित व अज्ञानी लोगों के प्रति सेवा-भाव जागृत करना। लेकिन ये सेवा दया भाव के रूप में नहीं बल्कि अपनी देश की संस्कृति में बसी सेवा के कत्र्तव्य के रूप में।

 

हमारे सूत्र : परिषद् के उद्देश्यों व कार्यक्रमों को मूर्त रूप देने के लिए हम अपने निम्नलिखित सूत्रों का अनुसरण करते हैं:

 

  1. सम्पर्क : हम उन व्यक्तियों को चिन्हित करते हैं, और उनसे व्यक्तिगत सम्पर्क स्थापित करते हैं जो कि परिषद् के सदस्य के रूप में परिषद् की गतिविधियों में जिम्मेदारीपूर्वक सहायता प्रदान करने को तैयार हो सकते हैं।
  2. सहयोग : समाज के प्रभावशाली लोगों का सक्रिय सहयोग प्राप्त करते हैं और फिर उन लोगों को जिम्मेदारियाँ सौंपते हैं तथा उनके सहयोग से परिषद् के उद्देश्यों के अनुरूप कार्य करते हैं।
  3. संस्कार : अपने देश की धरोहरों के सर्वश्रेष्ठ पहलुओं व आध्यात्मिक मूल्यों के प्रति अपने सदस्यों को शिक्षित व प्रेरित करते हैं।
  4. सेवा : परिषद् की समस्त गतिविधियों का बिन्दु ‘सेवा’ है। निःस्वार्थ व समर्पित सेवा और यह सेवा किसी दया या कमजोर के प्रति हीनभाव से प्राप्तकर्ता को नहीं दी जाती है, बल्कि हमारी संस्कृति के अनुरूप सच्ची भावना से पूजा भाव के साथ प्रदान की जाती है। ‘नर सेवा नारायण  सेवा’ का भाव रहता है।
  5. समर्पण : ऊपर वर्णित समस्त सूत्रों के अनुरूप परिषद् परिवार के सदस्यों को समाजोन्मुखी, अहंकार रहित पूर्ण समर्पित भाव जागृत करने का प्रयास रहता है व उचित समर्पित मनोस्थिति के साथ मातृभूमि की सेवा के लिए तैयार करने हेतु समर्पण अपरिहार्य है |